खलनायक

मुझे नहीं पता, क्या सही है और क्या गलत,
अब तो सवाल भी पूछना बंद कर दिया है मैंने

खुदगर्जों के ख्वाब तमाम हो गए
पता नहीं था, दिलदार होना इतना बड़ा गुनाह है !

जिंदगी भर की गालियां इन लोगोंपे खर्च हो गईं
देने के लिए कुछ बद्दुआएं अब खुद कमानी पड़ेंगी

कभी वक़्त गलत होता है, कभी इश्क़ दगा देता है,
अब तो इन्हे पहचानना सिखा दे जिंदगी !

सही चीजें ज्यादा कर रहा हूं मैं शायद
शायद कुछ गलतियां बाकी रह गई हैं

सबर की इस दीवार का दरवाजा मत धकेल नादान
दीवार नहीं, बांध हैं ये !

सही सही फेंक कर भी फांसे गलत पड़ते हैं
मुझे बिगाड़ने की कोशिश कर रही है क्या, जिंदगी ?

चलो किसीकी कहानी में हमें नायक ना सही,
खलनायक बनाने के लिए तो कोई तड़प रहा है !

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